कोरोनावायरस से पीड़ित गर्भवती से उसके बच्चे में वायरस नहीं पहुंचता है। यह जानकारी चीनी शोधकर्ताओं ने जारी की है। जर्नल फ्रंटियर्स इन पीडियाट्रिक्स में प्रकाशित शोध के अनुसार, चीन में ही कोरोना से पीड़ित गर्भवती महिलाओं पर हुई रिसर्च में इसकी पुष्टि भी हुई है।
नियोनेटल यूनिट में रखे गए नवजात
शोधकर्ताओं के मुताबिक, रिसर्च 4 ऐसी गर्भवती महिलाओं पर हुई जो वायरस से जूझ रही हैं लेकिन हाल ही में जन्मे उनके नवजात में वायरस नहीं मिला। नवजातों को एहतियात के तौर पर नियोनेटल यूनिट में रखा गया। उनमें बुखार, खांसी जैसे लक्षण नहीं दिखाई दिए। 4 में से 3 बच्चों के गले के सेम्पल लिए गए। वहीं, चौथे बच्चे की मां ने उसका टेस्ट कराने से इंकार किया है।
सांस में तकलीफ का वायरस से कनेक्शन नहीं
चार में से एक नवजात को सांस लेने में मामूली सी तकलीफ हुई जिसका इलाज बिना किसी सर्जरी के किया गया। वहीं, एक अन्य के शरीर पर रैशेज दिखाई दिए जो कुछ दिन बाद अपने आप ठीक हो गए। शोधकर्ताओं के मुताबिक, नवजातों में इन लक्षणों का कोरोना वायरस से कोई सम्बंध नहीं है। शोधकर्ता डॉ. येलेन लिउ का कहना है कि रैशेज का कारण मां में कोरोना का संक्रमण है या नहीं, इस पर अभी कुछ नहीं कहा जा सकता। लेकिन चारों नवजात स्वस्थ है और माएं पूरी तरह से वायरस से रिकवर हो चुकी हैं।
सिजेरियन डिलीवरी बेहतर विकल्प
शोधकर्ता डॉ. येलेन लिउ के मुताबिक, नवजात को संक्रमण से बचाने के लिए सिजेरियन डिलीवरी ज्यादा बेहतर विकल्प हो सकता है। चार में से सिर्फ एक मां की सामान्य डिलीवरी हुई है क्योंकि उसे प्रसव पीड़ा समय से पहले शुरू हो गई थी, लेकिन नवजात स्वस्थ है। सामान्य डिलीवरी संक्रमण के लिहाज से कितनी सुरक्षित है, इस पर रिसर्च जारी है।
शोधकर्ताओं के मुताबिक, नवजातों के सेंपल लिए जा रहे हैं। जिसमें नाल, एम्नियोटिक फ्लूइड, नवजात का रक्त, गैस्ट्रिक फ्लूइड शामिल है।